Sunday, December 28, 2014

What incentive would you prefer?


Learning around the patient is the only incentive and learning can hopefully augment better care.

Question is are we ready to develop a learning ecosystem that just requires a minimal investment by each healthcare stakeholder be it nurse, student, resident, consultant (an internet connection and device) to learn around our patients?

My hunch is that possibly a few more years down the line when smart phones and their connectivity become more ubiquitous, we may have it made. You will notice that i am not paying much attention to the IT infrastructure necessary to sustain this. Current freely available cloud based platforms  could suffice?

Also would the near future really see a sea change in our learning mindset from that of a population based approach celebrating average outcomes to an individualized/personalized approach where every patient is a separate project to be solved with if necessary new solutions that can be tailor made and developed toward that patient (for a fee in which case the patient funds this research for his own and similar patients' benefits) rather than the current approach toward first developing a mass market for any solution that is innovated (http://www.pitt.edu/~super1/lecture/lec50661/035.htm)?


 
for most of us 'learning' can happen only after we have taken care of our 'earning' requirements and 'earning' shall remain a more viable 'carrot' for a long time. :-)

However for some who are out of this 'earning' cycle and have temporarily met its worldly requirements (or at best somehow managed to forget about earning altogether), learning can be a very delicious, enticing and addictive carrot.:-)

We often do not like learning for exams or some other set deadlines but that/those may not be what 'real-learning' is all about? Real learning could be something that we pursue to gain a pure kind of joy (call it hedonistic pleasure if you will)? :-)

Perhaps most of our health-IT/HIS/EMR infrastructure has developed and exists only to facilitate learning around our patients as a 'collaborative team' (be it a team of nurses, physicians, physiotherapists or even patient relatives)?

Enabling diffusion of this collaborative-team approach to health-IT may require a major commitment by clinicians and a willingness to take risks (such as getting addicted to learning and forgetting about earning-big for some time)? :-) Paying attention to the notion of a critical mass of adopters is essential to developing implementation strategies that will accelerate the adoption process by clinicians. http://www.biomedcentral.com/1471-2296/14/3


Thursday, November 27, 2014

Student driven patient centered research

मैं भोपाल शहर के एक मेडिकल कॉलेज में Student हूँ. मेरे अध्यापक और गाइड एक नये और बहुत जल्द विकसित होते हुए शेत्र में काम कर रहे हैं जिसे आजकल 'पेशेंट सेंटर्ड आउटकम रिसर्च' के नाम से जाना जाता है और हम इसे मुख्यत: 'केस-स्टडी' रिसर्च अप्रोच के द्वारा कर रहे हैं.
भारत में बहुत कम जगहों पर ऐसी रिसर्च हो रही है. मौजूदा पारंपरिक अनुसंधान से बेहतर 'पेशेंट सेंटर्ड रिसर्च' मरीज़ों तक बहुत जल्द अच्छा परिणाम व जानकारी पहुँचा सकती है. 

इस रिसर्च का हमारा एक मकसद यह है की हमारे मरीज़ों को स्वास्थ्या संबंधी जानकारी प्रासंगिक रूप में प्राप्त हो जिसे वे आसानी से ग्रहण कर पाएँ एवं स्वास्थ संबंधी चेतना को स्माज में बढ़ावा दे पाएँ. आज के मॅनेज्मेंट इनस्टिट्यूट्स में 'केस-स्टडी' रिसर्च काफ़ी लोकप्रिय है और हेल्त रिसर्च में भी अब धीरे धीरे पॉपुलर हो रही है. 'केस स्टडी' रिसर्च हुमें वास्तविक जीवन स्थितियों में उठने वाली जटिल मुद्दों को गहराई से और बहुमुखी मूल्यांकन एवं अन्वेषण द्वारा हल करने की क्षमता देता है. (अधिक जानकारी के लिए:http://www.biomedcentral.com/1471-2288/11/100).

पेशेंट सेंटर्ड केस स्टडीस (रोगी केंद्रित केस स्टडीस):

सीने में असहनीय दर्द

Case 1 केस 1

मरीज़ के अनुसार:-
मेरी उम्र ४५ वर्ष की है और मैं एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम करता हुँ. हर रोज़ सुबह जल्दी उठ जाता हूँ और प्रतिदिन उठते ही खाली पेट शहद नीबू और कुनकुने पानी का शर्वत पीता हूँ और १५ मिनिट के बाद काली चाय पीता हूँ. सुबह इतनी जल्दी मेरे घर में मैं और मेरी पत्नी ही उठते हैं घर के बाकि सदस्य थोड़ा देर से जागते हैं.

दिन पहले इतवार के दिन सुबह जब मैं नाश्ता कर रहा था तो अचानक से मुझे तेज़ पसीना आने लगा और मेरे सीने में असहनीय दर्द होने लगा और दर्द इतना ज़्यादा था की मैं कुछ बोल भी नहीं पाया बस अपनी छाती को पकड़ कर बैठा ही रह गया इतने मे मेरी पत्नी बाहर कमरे मे आई और मुझे ऐसी हालत में देख कर रोते हुए ज़ोर ज़ोर से घर के और लोगो को उठा दिया सभी मेरे पास आये और मुझे ऐसी हालत में देख कर तुरंत मुझे लेकर   अस्पताल के लिए निकल गए.

अस्पताल जाते समय बीच रास्ते में मुझे तीन चार बार उलटी भी हो गई उलटी में सिर्फ पानी पानी निकल रहा था. एक तो मेरी ऐसी हालत और साथ  में उलटी भी होने से मेरे परिवार के लोग ये देख और डर गए और मुझे तुरंत ही नज़दीकी अस्पताल में डाक्टर के पास ले गए तो उन्होंने जल्दी किसी अच्छे अस्पताल जाने को कहा तब सभी मुझे दूसरे अच्छे अस्पताल लेकर पहुंचे वहां डाक्टर ने मुझे देखा और कुछ इंजेक्शन  मुझे लगाये और कुछ दवाइयाँ भी उस वक़्त खाने को दी.

साथ ही मुझे उन्होंने अस्पताल में भर्ती भी कर लिया लगभग से घंटे भर्ती रहा पर पूरी तरह रहत ना मिल पाने की वजह से घरवाले मुझे बड़े मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में ले गए. यहाँ भी डाक्टरों ने मुझे भर्ती कर लिया और तुरंत ही कई सारी जांच शुरू कर दी जब जाँच की रिपोर्ट आई तो पता चला की मुझे दिल का दोहरा पड़ा था.

ये सुनके मेरे परिवार और घबरा गए तब डाक्टर ने कहा की घबराओ मत हम सभी आपकी मदद  के ही लिए हैं आप घबराए नहीं सब अच्छा होगा. उन्होने तुरंत मुझे मेरे हार्ट के भीतर क्लॉट को गलने के लिए एक इंजेक्षन दी और दुबारा ECG लिया. (फिगर 1).



दोबारा ECG करने पर स्मास्या काफ़ी कम नज़र रही थी (फिगर 2).

उसके बाद डॉक्टर ने हमारी आंजियोग्रफी भी करी जो बिल्कुल नॉर्मल दिख रही थी. (फिगर 3) 

 


पाठकों के लिए उपरूक्त मरीज़ के विषय स्मबंधी कुछ स्वाल:

1)
इस मरीज़ के सीने में असहनीय दर्द होने क्या कारण था?

2)
उन्हें क्या इंजेक्षन दिया गया होगा?

3)
इस रोग के निदान के लिए और क्या विकल्प हैं?


केस 2--

मरीज़ के अनुसार:-

मेरी उम्र ३३ साल है मैं मार्केटिंग का काम करता हूँ जिस वजह से मुझे कई बार शहर से बहार भी जाना पड़ता है इस काम में मुझे  काफी चलना फिरना भी होता है. कई बार मुझे कमर से लेकर पैरो के पंजो तक दर्द और झुनझुनाहट महसूस होती है. दर्द भी काफी होता है साथ ही छाती में दर्द भी रहता है. ये समस्याएं मुझे या सालों से हो रही है काफी जगह दिखाया जाँच करवाई पर कोई हल नहीं मिला। १० साल की उम्र मई मुझे जुइन्डेस और काफी ज़्यादा बुखार हुआ था तब मुझे हाथ पैरो के दर्द की समस्या हुई थी पर इलाज़ पूरा करवाने के बाद ये समस्या ठीक हो गई थी.

 
जब मैं २० साल का हुआ था उस साल मुझे पहली बार छाती में दर्द हुआ था. और उल्टियाँ भी हुई थीं इस समस्या का इलाज़ मैंने रतलाम में करवाया था. २१ दिन तक दवाइयाँ खाई फिर हालत में सुधर लगने लगा२२ वर्ष की उम्र में फिर से कमर दर्द की परेशानी हो गई जो काफी समय तक रही. इसके इलाज़ के लिए रतलाम, नसरल्लाह गंज, भोपाल काफी जगह गए पर आराम नहीं मिला दर्द कभी-कभी होता था.

और अब ३३ साल की उम्र में फिर से छाती में दर्द, कमर दर्द, झुनझुनाहट की समस्या होने लगी है. पिछले दिनों से मैं काफी दर्द सेहन कर रहा हुँ. भोपाल के एक बड़े मेडिकल अस्पताल में भर्ती हूँ यहाँ मेरी जाँच की गई जिसमे पता चला की छाती में दर्द सीने की हड्डियों में आक्सीजन पूरी तरह से ना जा पाने से हो रहा है. जिसके लिए मुझे दवाई दी गई जिनसे मुझे काफी आराम मिला है. पर जाँच में एक नै समस्या का पता भी चला है की मेरे शरीर की तिल्ली केल्सीफाइड हो गई है (Figure 1). मैं १४ सालों से गुटखा और सालों से शराब का सेवन भी कर रहा हूँ.




पाठकों के लिए उपरूक्त मरीज़ के विषय स्मबंधी कुछ स्वाल:

1)
इस मरीज़ के सीने में असहनीय दर्द होने क्या कारण था?


2)
इस रोग के निदान के लिए क्या विकल्प हैं?



उपरूक्त स्वाल 'पेशेंट सेंटर्ड आउटकम रिसर्च' के बुनियादी अनुसंधान सवाल हैं जो हर मरीज़ की मदद के लिए महत्वपूर्ण है (अधिक जानकारी के लिए: http://www.pcori.org/research-we-support/pcor/) और अबसे हर हफ्ते हम आपके साथ इन मरीज़ों की मदद करने की प्रयत्न करेंगे और जिस तरह से बूँद बूँद सागर भरता है उसी तरह हम हुमारे मरीज़ों तक अच्छे स्वास्थ्य परिणाम आने वेल दिनों में पहुँचा पाएँगे.

आपके आत्मीय जनों के जटिल रोगों के जानकारीपूर्ण समाधान के लिए कॉंटॅक्ट
करें बाइ एमाइल caregiver7careseeker@gmail.com and phone 8982616470